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एयरपोर्ट काबुल

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‘एयरपोर्ट काबुल’ नामक यह पुस्तक अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे और वहां से अमेरिकी सैनिकों की हड़बड़ाहट भरी वापसी के कारण उपजी उथल-पुथल का वर्णन करती है। यह पुस्तक एक दुभाषिया हसीजा, उसके पति जलाल, बहन राबिया और उनके रसोइए हामिद की आपबीती के माध्यम से एक अफगान परिवार द्वारा झेली गईं कठिनाइयों के बारे में बताती है। वे काबुल एयरपोर्ट के जरिए अफगानिस्तान से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं। क्या वे अफगानिस्तान से बाहर निकलने और आजादी व सुरक्षा के लिए उड़ान भरने में सक्षम हो पाते हैं? जब यह परिवार अगले विमान में सवार होने के लिए संघर्ष कर रहा होता है, तो उनका पीछा दो आत्मघाती हमलावर कर रहे होते हैं, जिन्हें उन्हें खत्म करने का निर्देश दिया गया होता है। काबुल हवाई अड्डे पर फैली अराजकता और उसके बाद अचानक सत्ता परिवर्तन होने के कारण उपजे भ्रम से जो हालात बनते हैं, उन्हें इस पुस्तक में बखूबी कैद किया गया है। इस दौरान मुख्य नायिका हसीजा गर्भवती होती है और तीव्र प्रसव पीड़ा से गुजर रही होती है। क्या उसका बच्चा दुनिया में आ पाता है? इस परिवार का क्या होता है, इस बारे में और अधिक जानने के लिए पढ़ें यह झकझोरकर रख देने वाली पुस्तक ‘एयरपोर्ट काबुल’।
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Description

  • ASIN ‏ : ‎ B09VCLGSCS
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • File size ‏ : ‎ 5415 KB
  • Simultaneous device usage ‏ : ‎ Unlimited
  • Text-to-Speech ‏ : ‎ Enabled
  • Screen Reader ‏ : ‎ Supported
  • Enhanced typesetting ‏ : ‎ Enabled
  • X-Ray ‏ : ‎ Not Enabled
  • Word Wise ‏ : ‎ Not Enabled
  • Print length ‏ : ‎ 77 pages
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